
शुचिता (सफाई) और स्वास्थ का संबंध

प्राकृतिक चिकित्सा या नेचर क्युर के संदर्भ में शुचिता या सफाई से मेरा तात्पर्य केवल शारीरिक शुद्धता से ही नहीं है। इसका मानसिक और आध्यात्मिक शुचिता से भी गहरा संबंध है। इस संदर्भ में जब हम शारीरिक सुचिता की बात करते हैं तो उसमें भी केवल हम बाहरी शुचिता की बात करते हैं जिसमें की त्वचा का ध्यान रखना कपड़े पहनना शामिल होता है।
लेकिन बाहरी शुचिता जितना ही आवश्यक है आंतरिक शुचिता का भी ध्यान रखना। जब हम आंतरिक शुचिता की बात करते हैं तो इसमें शरीर में मौजूद विषाणुओं का और विजातीय चीजों का शरीर से समुचित तरीके से निष्कासन होना आवश्यक अंग होता है। हम अकसर वैसी चीजों का खानपान करते हैं जो कि हमारे शरीर के लिए बनी नहीं है। इसमें पेय पदार्थ, एरेटेड ड्रिंक्स, पैकेज्ड फूड आदि।
आंतरिक गंदगी का निष्कासन
इसके अलावे दैनंदिनी कार्यों में हमारे जीवन शैली में बदलाव के कारण बहुत सारी ऐसी चीजों का उपयोग करते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य वृद्धि में सहायक नहीं है। रोजाना तली भुनी चीजें खाना, डिब्बाबंद सामग्रियों का उपयोग करना, प्राकृतिक संसाधनों का समुचित प्रयोग ना करना, और श्वास-प्र्श्वास की प्रक्रिया का अनुचित तरीके से उपयोग करना आदि शामिल है। इन सभी कार्यों की वजह से हमारे शरीर से मल निष्कासन की जो प्रक्रिया है वह उचित नहीं होती है।
त्वचा के जरिये विषाक्त कणों का निष्कासन
हमारी त्वचा भी मल निष्कासन की में बहुमूल्य योगदान देती है। हालांकि प्राकृतिक पाउडर, कोसमेटिक प्रोडक्टस में उपलब्ध रसायनों के प्रयोग से हम त्वचा के रोम क्षेत्रों को बंद कर देते हैं। इसके कारण जो शरीर की गंदगी जो त्वचा के माध्यम से निकलती है वह काम पर्याप्त तरीके से नहीं हो पाता है। हमारे कपड़े का चयन भी इसमें सकारात्मक या नकारात्मक भूमिका निभा सकता है। जो कपड़े हम शरीर के लिए प्रयोग करते हैं वह स्वास्थ से ज्यादा हमारी सहूलियत के अनुरूप चुनते हैं। जैसे की सूती, या खादी जैसे प्राकृतिक रेशे से बने कपड़े के स्थान पर सिंथेटिक फैब्रिक जैसे पोलिस्टर हमारे लिए हमारे स्वास्थ्य में वृद्धि नहीं करता बल्कि यह त्वचा के जरिए जो मल का निष्कासन होता है उसे बाधित करता है। इन कपड़ों का हम रख-रखाव और दाग ना लाग्ने जैसी सहूलियत का कारण देखकर हम उन्हे बिछावन के रूप में भी प्रयोग करते हैं लेकिन वह हमारी स्वास्थ के लिए उतना अच्छा नहीं है।
इस अखाद्य वस्तुओं का सेवन करने से और जो प्राकृतिक रेशे (नेचुरल फाइबर) नहीं है, उनका प्रयोग करने से शरीर की त्वचा द्वारा जो मल निष्कासन प्रक्रिया बाधित होती है। इससे हमें जो आंतरिक शुचिता शरीर में होनी चाहिए वह नहीं हो पाता और इससे हमारे शरीर में बीमारियों का जन्म होता है।
आंतरिक शुचिता बनाने के अन्य उपाय
इसलिए बहुत ही आवश्यक है कि हम बाहरी शुचिता के साथ-साथ शरीर की आंतरिक शुचिता का भी समुचित प्रबंध करें जैसा कि हम नेचर क्युर में जानते हैं इसमे आंतरिक सफाई के लिए जल चिकित्सा या (हाइड्रो थेरेपी) का प्रयोग एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके तहत हम टोना का प्रयोग कर (यह एनीमा का परिष्कृत रूप है) बड़ी आंतों को बेहतर स्वास्थ प्रदान करते हैं। उसे ठंढा रखते हैं। इसके साथ यह मल निष्कासन में भी मदद करता है यद्यपि यह इसका अतिरिक्क्त फायदा है।
मानसिक और आध्यात्मिक शुचिता
इसके अलावा बेहतर स्वास्थ्य के लिए मानसिक सुचिता का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसके अंतर्गत का अपना महत्व है। दूसरों को मदद करने का प्रयास करना, सकारात्मक सोच रखने का प्रयास करना, प्रतिदिन कुछ ना कुछ सृजनात्मक कार्य करना आदि मानसिक सुचिता के आयाम है।
आध्यात्मिक शुचिता के तहत हर दिन वह प्रश्न करना जिनसे कि आप बेहतर हो सके। यदि हम आध्यात्मिक स्वास्थ्य को देखे तो इसके तहत स्वस्थ प्रश्न पूछने की कला और आवश्यकता का अपना स्थान है। और यही वह पहलू है जो कि हमें स्वास्थ्य और स्वास्थ्य कर चीजों के प्रति सजग बनाता है।
पर्यावरणीय शुचिता
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शारीरिक शुचिता के साथ-साथ मानसिक सुचिता कामा और आध्यात्मिक सुचिता का भी ध्यान रखने की आवश्यकता तो है ही। इसके साथ ही वर्तमान परिपेक्ष में मैं इसमें एक और बात जोड़ना चाहूंगी वह है पर्यावरण की शुचिता।
वैयक्तिक सहयोग
जिसमें यह बहुत ही आवश्यक है कि हम देखें कि वैयक्तिक रूप से हमारे जीवन में वशिष्ठ प्रोडक्ट या प्रशंसनीय पदार्थों का उपयोग कम से कम हो। जितना हम प्राकृतिक चीजों की ओर बढ़ सकें उतना अच्छा है। जब मैं प्राकृतिक चीजों की बात करती हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम प्राचीन शैली में चले जाएं। शहर के वातावरण में जितना कुछ हमसे संभव है हम थोड़ा-थोड़ा करके
उसमें परिवर्तन ला सकते हैं। जैसे कि कपड़े के थैलों का प्रयोग करना।
मैं ऐसे दुकान से अपना सामान लाती हूं जहां पर की सामान की गुणवत्ता के साथ मैं यह भी सुनिश्चित करती हूं कि वह प्लास्टिक में पैक ना करें। सब्जी और फल वाले से भी मैं यह सुनिश्चित करती हूं कि वो मुझे थैले में ही सामान दें। इस प्रकार से वातावरण में पर्यावरण में प्लास्टिक का प्रयोग कम करने में सहयोग कर रही हूं।
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