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Q&A
04:49 PM | 20-11-2019

Can you pls suggest a treatment for uterus fibroids (intramural)?

The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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4 Answers

06:11 PM | 20-11-2019

A fibroid is a collection of the toxins accumulated together, benign in nature it causes a physiological disturbance in the body which further produces cancerous elements. You should start taking your diet seriously with inclusions of herbs. Fibroid cured naturally, using this blog you will get clear gist on how fibroids can be healed naturally.

Weight loss is another factor that is found to be useful in fibroid issues, as excessive weight is the cause of fibroid. Weight loss guide.

In-home therapies using curry leaves in your diet especially by boiling and drinking their water is found to be beneficial for our uterus health. Yoga is another essential therapy for fibroid asanas like Suptavirasana, Salamba, Setu bandh, Sarvangasana, Supta baddha konasana.

Thank you.

 

 



08:36 PM | 28-11-2019

नमस्ते,

यह गर्भाशय में मांसपेशियों व कोशिकाओं की एक या एक से ज्यादा गांठ होती हैं!
कारण-

  • आयु : फाइब्रॉएड प्रजनन काल के दौरान विकसित होते हैं। खासतौर पर 30 की आयु से लेकर 40 की आयु के बीच या फिर रजनोवृत्ति शुरू होने तक इसके होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। माना जाता है कि रजनोवृत्ति शुरू होने के बाद ये कम होने लगते हैं।
  • आनुवंशिक : अगर परिवार में किसी महिला को यह समस्या रही है, तो आशंका है कि आगे की पीढ़ी में से किसी अन्य को इसका सामना करना पड़ सकता है। अगर आपकी मां को यह समस्या रही है, तो आपको यह होने का खतरा तीन गुना तक बड़ जाता है।
  • मोटापा : अगर किसी महिला का वजन अधिक है, तो उसमें फाइब्रॉएड होने की आशंका अन्य महिलाओं के मुकाबले तीन गुना तक ज्यादा होती है।
  • असंतुलित भोजन : अगर आप रेड मीट या फिर जंक फूड ज्यादा खाती हैं और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन कम करती हैं, तो आप इस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं।
  • हार्मोंस : शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन हार्मोंस की मात्रा अधिक होने पर भी गर्भाशय फाइब्रॉएड हो सकता है।
  • विटामिन-डी : शरीर में विटामिन-डी की कमी होने और आयरन की मात्रा बढ़ने पर भी आप यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) की चपेट में आ सकती हैं।

लेख के इस भाग में हम फाइब्रॉएड के लक्षणों को पहचानने का प्रयास करेंगे।

गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण – 

  • अत्यधिक रक्तस्राव और पीरियड्स के दौरान अहसनीय दर्द होना।
  • एनीमिया यानी शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी आना।
  • पेट के निचले हिस्से यानी पेल्विक एरिया में भारीपन महसूस होना।
  • पेट के निचले हिस्से का फूलना।
  • बार-बार पेशाब आने का अहसास होना।
  • यौन संबंध बनाते समय दर्द होना।
  • कमर के निचले हिस्से में दर्द होना।
  • प्रजनन क्षमता में कमी यानी बांझपन, बार-बार गर्भपात होना, गर्भावस्था के दौरान सी-सेक्शन का खतरा छह गुना तक बढ़ना।

आपको निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-

  • प्रतिदिन सूर्योदय के पश्चात 45 मिनट धूप में रहें, इससे शरीर को आवश्यक मात्रा में विटामिन डी की आपूर्ति होती है ,शरीर की समस्त अंतः स्रावी ग्रंथियां सुचारू रूप से अपना कार्य करती हैं।
  • प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी, नींबू एवं शहद का सेवन करें ,इससे आंतों में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते है
  • भोजन में 50% मौसमी फल 35% प्रतिशत हरी पत्तेदार सब्जियां 10% साबुत अंकुरित अनाज का सेवन करें  हल्के एवं सुपाच्य होते हैं जिससे इनका पाचन ,अवशोषण एवं मन का निष्कासन आसानी से हो जाता है।
  • सप्ताह में कम से कम 1 दिन उपवास रहें, इससे शरीर से अशुद्धियां बाहर निकलती हैं ,पाचन अंगों के कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
  • पानी में हल्दी को मिलाएं और करीब 15 मिनट तक उबालें,इसके बाद पानी को ठंडा होने दें और फिर दो बार लें, हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। साथ ही हल्दी कैंसर व फाइब्रॉएड जैसी बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है। हल्दी के सेवन से गर्भाशय के अंदर व बाहर कोमल मांसपेशियों के सेल विकसित होते हैं, जिससे प्रजनन क्षमता बेहतर हो सकती है। इसके अलावा, हल्दी एंटीइंफ्लेमेटरी का प्रमुख स्रोत होने के कारण गर्भाशय में पनपने वाली सूजन व ट्यूमर को जड़ से खत्म कर सकती है।
  • प्रतिदिन आंवले के जूस का सेवन करें,आंवले में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। फाइब्रॉएड में खून की कमी हो जाती है, जबकि आंवले के सेवन से लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में वृद्धि होती है। इस लिहाज से रसौली के इलाज के लिए आंवला बेहतरीन घरेलू उपचार है।
  • प्रसन्न चित्त रहें, खुलकर हंसे ,सकारात्मक सोचें।

नोट-आपको  वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

निषेध -जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ ,चाय ,काफी ,चीनी, मिठाईयां ,मैदा ,तली भुनी चीजें ,वसा से बनी हुई चीजें ठंडे पेय पदार्थ क्रोध ईर्ष्या चिंता तला रात्रि जागरण सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल टेलीविजन कंप्यूटर का उपयोग।



05:48 PM | 20-11-2019

हेलो,

कारण - शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन हार्मोंस की मात्रा अधिक होने पर भी गर्भाशय फाइब्रॉएड हो सकता है

विटामिन-डी : शरीर में विटामिन-डी की कमी होने और आयरन की मात्रा बढ़ने पर भी आप यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) की चपेट में आ सकती हैं।

असंतुलित भोजन : अगर आप रेड मीट या फिर जंक फूड ज्यादा खाती हैं और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन कम करती हैं, तो आप इस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं।

समाधान - शारीरिक और मानसिक क्रिया में संतुलन बनाए। दौड़ लगाएँ।सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन

पश्चिमोत्तानासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन करें।

10% कच्चे हरे पत्ते और सब्ज़ी का जूस बिना नमक निम्बू के लेना है।30% कच्चे सब्ज़ी का सलाद बिना नमक निम्बू के लेना है।10% ताज़ा नारियल सलाद में मिला कर लेना है। 20% फल को लें। पके हुए खाने को केवल एक बार खाएँ नमक भी केवल एक बार पके हुए खाने लें। पके हुए खाने में सब्ज़ी भाँप में पके हों और तेल घी रहित होना चाहिए सब्ज़ी की मात्रा 20% और millet या अनाज की मात्रा 10% हो

गर्भाशय पर mudpack 20मिनट के लिए करें।

खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।

जीवन शैली - आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।

फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।

वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।

अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।

जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए। 

स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से

घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।

पृथ्वी - सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। बेल पत्ता 8 से 10 पीस कर 100 ml पानी में मिला कर लें। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।

दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ash guard) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। रात का खाना 8 बजे खाएँ।

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लें। एक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।ओ

सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ  ले सकते हैं।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।

उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)



05:29 PM | 20-11-2019

Hi. As per Natural Laws, fibroids happen due to accumulation of toxic material in the body. Infact cyst, fibroids, kidney stones, gall bladder stones are all manifestations of the same cause - toxaemia. Please read inspiring Women’s Health related stories in our Journeys section. Shifting to a natural lifestyle will help you in addressing the problem at its root. You can explore our Nature-Nurtures Program that helps you in making the transition, step by step. We will guide you on diet, sleep, exercise, stress to correct your existing routine & make it in line with Natural Laws. 


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