Hi I'm a myocarditis patient i am having flu since one week what should I do?
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Read moreMyocarditis is inflammation of the heart muscle.
Causes:
This is generally caused by a viral infection.
Other than the infections this might be caused because of
- drugs,
- radiation,
- chemotherapy or secondary to autoimmune diseases in the body like rheumatoid arthritis etc.
symptoms
Generally, this disease may not cause many problems and may go off.
some of the symptoms which may be noticed are
- shortness of breath which initially is present when doing exercise and later on lying down also
- abnormal heartbeat
- pain in the chest which may pass on to shoulder and neck
- fatigue
- other symptoms of infection like
- fever
- pain in all joints
- swelling
- sore throat
- headache
- decreased urine output etc.
If you have any severe problems you may consult your doctor and take treatment. Generally, mild conditions may go off unnoticed.
Through Natural ways, the inflammation and infection are generally treated by the following ways:
- Fasting / with fruit juices / raw diet.This gives the body some rest to fight infection and cure inflammation.
- A wet cloth/chest pack to the chest region to reduce the inflammation(strongly recommended on consultation with your doctor).
- Reduced salt intake.
- Take tender coconut water daily.
- Do yoga daily mildly initially.
- Take a lot of Rest.
(The above Recommendations should be taken on consultation with your Doctor only as the severity of your condition is not known)
Flu
Flu is a viral disease generally present with fever, cold,cough etc.
This usually may go off in 1 or 2 weeks time. Some natural remedies are
- Drink lot of water
- Take more of vitamin C rich foods like Lemon/Orange/Grapes etc
- take lot of Rest.
- Take steam bath/Hot water bath.
Disclaimer
This is a general Recommendation only as the severity of your problem is not known. These treatments should be taken only on consultation with your doctor and this is for education purpose only.
नमस्ते,
मायोकार्डिटिस में दिल की मांसपेशियों में सूजन व लालिमा आने लगती है, इन मांसपेशियों को मायोकार्डियम कहा जाता है। मायोकार्डिटिस आपके हृदय व आपके हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम (विद्युत प्रणाली) को प्रभावित कर सकता है। जिससे दिल की खून पंप करने की क्षमता कम हो जाती है और दिल की धड़कनें अनियमित (एरिथमिया) हो जाती है।
लक्षण-
- छाती में दर्द ,हृदय की धड़कनें तेज या अनियमित होना
- कुछ काम करते समय या आराम करते समय सांस फूलना
- पैर, टखनों और टांगों में सूजन के साथ-साथ फ्लूड रिटेंशन (Fluid retention) होना,थकान ,वायरल इन्फेक्शन से जुड़े अन्य संकेत व लक्षण जैसे सिरदर्द, शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द, बुखार, गले में दर्द या दस्त लगना आदि।
- आपको निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-
- नींद -रात्रि में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें, इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलता है कोशिकाओं की मरम्मत होती है।
- सूर्योदय के पश्चात प्रतिदिन कम से कम 45 मिनट धूप मेंं रहें इससे शरीर में विटामिन डी की आपूर्ति होती है शरीर की समस्त अंतः स्रावी ग्रंथियां सुचारू रूप से अपना कार्य करती हैं।
- प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी ,नींबू एवं शहद का सेवन करें इससे शरीर में अम्ल एवं क्षार का संतुलन बना रहता है, आंंत की दीवारें फैलती हैं, शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं जिससे क्रमांक कुंचन गति सुचारू रूप से होती है।
- प्रतिदिन पालक ,चुकंदर ,नारियल पानी या आंवले के जूस का सेवन करें इससे शरीर में अम्ल एवं क्षार का संतुलन बना रहता है ,शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते है।
- प्रतिदिन भोजन में 50% ताजे मौसमी फल 35% हरी पत्तेदार सब्जियां 10% साबुत अंकुरित अनाज, 5% सूखे मेवे का सेवन खूब चबा चबाकर करें, यह हल्के एवं सुपाच्य होते हैं, संतुलित मात्रा में शरीर को पोषण प्राप्त होता है, अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं.।
- प्यास लगने पर मिट्टी के घड़े में रखे हुए जल को बैठकर धीरे-धीरे सेवन करें इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में जल की आपूर्ति होती है ,शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं।
- सप्ताह में कम से कम 1 दिन उपवास रहें इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं, पाचन अंगों को आराम मिलता है ।
- एक ग्लास पानी में एक चम्मच शहद को मिलाएं और इस मिश्रण को पूरे दिन कई बार पीने की कोशिश करें।इसके अलावा अब एक चम्मच शहद को एक कप गर्म पानी में मिलाएं। आप इसमें नींबू के जूस की कुछ बूँदें भी मिला सकते हैं। ये पेय पदार्थ आपके बलगम को निकालने में मदद करेगा और गले की जलन और खुजली को भी कम करेगा। इस मिश्रण को दो या तीन बार ज़रूर इस्तेमाल करें, फ्लू में आराम करेगा।
- दो या तीन ताजा लहसुन की फांको को काट लें या उसे क्रश कर लें,अब उन्हें एक कप गर्म पानी में डाल दें,10 मिनट के लिए उसे उबलते रहने दें,उबलने के बाद मिश्रण को छान लेंऔर फिर इसे चाय की तरह इस मिश्रण का इस्तेमाल पूरे दिन में तीन या चार बार पियें, फ्लू में आराम करेगा, लहसुन में एंटी बैक्टीरियल एंटी फंगल एवं anti-inflammatory गुण पाया जाता है।
- प्रतिदिन सुगंधित पुष्पों से युक्त बगीचे में प्रसन्न होकर नंगे पाव टहलें, मन शांत एवं तनाव मुक्त रहता है।
निषेध -जानवरों से प्राप्त भोज पदार्थ चाय काफी चीनी मिठाईयां नमक नमकीन ठंडे पेय पदार्थ डिब्बाबंद भोज्य पदार्थ रात्रि जागरण ,क्रोध, ईर्ष्या , चिंता ,तनाव सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल, टेलीविजन ,कंप्यूटर का प्रयोग।
हेलो,
कारण - हृदय में inflammation इस समस्या का मूल कारण है। शरीर में कंही भी inflammation हो तो उसका कारण अस्वस्थ पाचन तंत्र होता है। फ्लू का कारण संक्रमण है जो की inflammation के कारण ही होता है। शरीर में अम्ल कि अधिकता के कारण inflammation होता है। शरीर में अम्ल बढ़ने के कई कारण है। दोष पूर्ण आहार, तनाव, शारीरिक शिथिलता, अनिद्रा।
प्राकृतिक जीवन शैली को अपना कर इसको ठीक कर सकते है।
समाधान - 10% कच्चे हरे पत्ते और सब्ज़ी का जूस बिना नमक निम्बू के लेना है।30% कच्चे सब्ज़ी का सलाद बिना नमक निम्बू के लेना है।10% ताज़ा नारियल सलाद में मिला कर लेना है। 20% फल को लें। पके हुए खाने को केवल एक बार खाएँ नमक भी केवल एक बार पके हुए खाने लें। पके हुए खाने में सब्ज़ी भाँप में पके हों और तेल घी रहित होना चाहिए सब्ज़ी की मात्रा 20% और millet या अनाज की मात्रा 10% हो।
अनुलोम विलोम, आंतरिक कुंभक और बाह्य कुंभक
लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।I
दुध या दुध से बना कोई चीज़ ना लें। नीम के पत्ते का और खीरा पेस्ट अपने पेट पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।
जीवन शैली- 1आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।
3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से
घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक पत्ते धो कर पीस कर 100ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ash guard) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
6.सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
7.एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
8.उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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Dr. Khushbu Suthar
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