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Q&A
11:02 AM | 20-04-2020

I am 32 year male, suffering from Chronic Kidney Disease because of auto-immune disease. I have tried allopathy medicine but no relief. Now under treatment with ayurved medicine - I got little benefit not much. Plz guide how to cure with naturopathy?


The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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3 Answers

07:07 PM | 20-04-2020

Hello Chandradev,

Looking at the status of your problem, individual care and help are needed to support your system. Contacting a naturopath will be helpful.

The most important thing you need right now is a balanced diet, detailed information about your routine and other conditions can help us to heal you. Definitely you can achieve the best with our naturopathy treatment. Chronic kidney disease with an underlying autoimmune condition is going to make our organs completely sensitive and it will be difficult in leading a qualitative lifestyle.

Hopefully, our forum is able to give you the best.

Take care.

 



07:10 PM | 20-04-2020

हेलो,
कारण - आजकल के आहार स्वप्रतिरक्षित रोग विकसित होने का कारक हैं। अधिक फैट या शुगर वाले आहार या फिर बाहर तैयार हुऐ भोजन खाना स्वप्रतिक्षित रोग विकसित कर सकती है। स्व-प्रतिरक्षित विकार पाचन प्रणाली संबंधी समस्याएं  के कारण होती हैं।
 लंबे समय तक हाजमा खराब रहने से और कब्ज होने सेे किडनी की बीमारी हो जाती है, तो किडनी प्रभावी रूप से अपशिष्ट द्रव को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती जिससे शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन भी खराब हो जाता है। शरीर में अपशिष्ट द्रव जमा होने से शरीर की केमिस्ट्री (शरीर में मौजूद रसायनों का संतुलन) खराब हो जाती है।

समाधान - अपने खाने में नमक की मात्रा बहुत कम लें। नमक में काला नमक का यूज़ करें जिन सब्जियों में पोटैशियम है उन सब्जियों को अभी कुछ दिनों के लिए ना ले। प्रोटीन भी सीमित करें। जानवरों से मिलने वाले सभी खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित है।

2. एक टब में पानी भरे और उसमें 500 ml नीम की पत्तियों का  रस डालें। उसमें 20 मिनट के लिए बैठे और संकुचन क्रिया करें। 

3 . हरे पत्तों में आप पालक के पत्ते धनिया के पत्ते पुदीने के पत्ते तुलसी के पत्ते दूब घास बेलपत्र या  सफेद पेठे का जूस ले सकते हैं। प्रतिदिन इसका सेवन सुबह खाली पेट डेढ़ सौ ई-मेल से दो से मृतक करें दोपहर में खाना खाने से घंटा पहले इसका सेवन डेढ़ सौ से 200 ml तक करें डिनर के 1 घंटे पहले इसका सेवन 200 ml तक करें।

3. खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

4. मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। 

5. प्राणायाम करना है। योग निद्रा 20 मिनट के लिए करें।

लंबा गहरा श्वास अंदर लें रुको थोड़ी देर सांस को पूरी तरीके से खाली करें और फिर रुके थोड़ी देर ऐसा करने से आपके शरीर में ऑक्सीजन का सरकुलेशन ठीक हो जाएगा ।

जीवन शैली - 1. आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।

फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।

2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।

3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।

4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए। 

स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है।

तिल के तेल से गले  पर घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।

5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक  पत्ते धो कर पीस कर 100 ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। 

फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल सूखे फल नाश्ते में लें।

दोपहर के खाने में सलाद नट्स और अंकुरित अनाज के साथ  सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ash guard) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। 

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल  ले। एक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।

6.सुबह  खीरा 1/2 भाग पुदीने की पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है।  दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। 

फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। 

दोपहर के खाने में  कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें। कद्दूकस करके डालें। काजू पेस्ट डाल लें।

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए पुदीने के पत्ते मिलाएँ।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल लें। एक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।

7.एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे पेठे का जूस और रात 8 बजे सलाद लें।

8. उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200 ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)



11:11 AM | 20-04-2020

Dear Chandradev,

Dear Atul,

We totally empathise with you and understand your concern about your health condition. 

Given the background of the problem you have shared, we would suggest that you take one-on-one consultation from a Nature Cure expert. You could share the nature of the problem and other things in detail and get guidance accordingly. We can help you connect with a Nature Cure expert if you want. You could mail us at info@wellcure.com. Do mention the city you reside in.

Wishing good health!

Team Wellcure


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