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Q&A
09:53 AM | 16-09-2019

I am suffering from pcod and my weight is 58 and height is 5. 2 I am taking medication which doctor prescribed me but I want to reduce weight so that I can stop my medicine and periods become regular. Please suggest me something very genuine. What should I follow?

The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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3 Answers

12:33 PM | 16-09-2019

नमस्ते

कारण - पाचन तंत्र के स्वास्थ बिगड़ने पर शरीर में मौजूद संक्रमित जीवाणु (toxin) हार्मोन के संतुलन में दोष पैदा करते है।शरीर के में हार्मोन के संतुलन के बिगड़ने से शरीर का चया पचय (metabolism) का संतुलन बिगड़ जाता है।

समाधान - नीम के पत्ते का पेस्ट और खीरा अपने गले और गर्भाशय पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।

शरीर को यह ज्ञान है कि ख़ुद को स्वस्थ कैसे रखना है। हम इस बात से अनभिज्ञ हैं। जब हमारी प्राणशक्ति हमें ऊर्जा दे रही होती है तो वह स्वास्थ्य की स्थिति है। जब हमारी प्राण शक्ति हमारे शरीर के अंदर विषाणुओं (toxic) को साफ़ करने में लग जाती है तो वह अस्वस्थ होने की स्थिति होती है।

प्राण शक्ति ने सिर्फ़ अपना काम बदल लिया क्योंकि हमने अपनी ग़लत आदतों के वजह से उसे ऐसा करने पर मजबूर किया है। अब उसको सही खुराक से मदद करें और उसपर विश्वास बनाए रखें।

आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।

पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।I

खुली हवा में बैठें या टहलें।

3 अग्नि तत्व- सूरर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।

4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करना है।

मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। 

5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह सफ़ेद पेठे 20ग्राम पीस कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।

दोपहर में 12 बजे फिर से इसी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। इसी प्रकार हरा गोभी, बंद गोभी, गाजर, चुकन्दर भी कद्दूकस करके डालें। हर दिन मुख्य सब्ज़ी किसी एक की मात्रा अधिक बाँकि सब थोड़ा थोड़ा डालें। ताज़ा नारियल पीस कर मिलाएँ। कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। 

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ। नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की मात्रा दोपहर के खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक डालें। नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid)  की कमी हो जाती है। रात का खाना 8 बजे खाएँ।एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं।

ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा।

जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ का सेवन करें।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद। 

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)

 



04:43 PM | 17-09-2019

Hello Ritu. Please adopt a natural lifestyle and it will help you in losing weight as well as normalising your periods over a period of time. Do read the Women's Health stories in the Journeys section. They will give you the confidence that this is genuine :-).

Wellcure’s Buddy Program helps you in making the transition to a natural lifestyle, step by step. If you would like to know more, please let us know. 



04:33 PM | 17-09-2019

नमस्ते,
 भोजन में अत्यधिक मात्रा में अम्लीय पदार्थ ,खराब दिनचर्या ,क्रोध, ईर्ष्या ,चिंता की वजह से हमारे भोजन का पाचन ,अवशोषण व निष्कासन सही तरीके से नहीं हो पाता जिससे दूषित पदार्थ आंत में ही सड़ने लगते हैं ,शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व भी नहीं मिल पाते , साथ ही साथ शरीर के अंगों के कार्य करने की क्षमता भी बिगड़ जाती है, अंतः स्रावी ग्रंथियों के हार्मोन के स्राव का संतुलन भी बिगड़ जाता है !
 

प्राणायाम -कपालभाति, अनुलोम -विलोम, भ्रामरी -मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है ,मन शांत रहता है !

 

प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी व नींबू का सेवन -आंत की मांसपेशियां फैलती है जिससे आंत में स्थित अशुद्धियां ढीली होकर बाहर निकल जाती हैं !

 

क्रमिक ठंडा गरम कमर स्नान- रक्त संचार बढ़ाता है, कमर व पेट की मांसपेशियों को आराम देता है !

 

उपवास- सप्ताह में 1 दिन पाचन संस्थान में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं व उनके कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है !

 

भोजन में 80% मौसमी फलों व सब्जियों का सेवन करें- इससे भोजन का पाचन ,अवशोषण व निष्कासन सही से होता है, साथ ही साथ रक्त में स्थित क्षारीयता का संतुलन बना रहता है !

 

डॉ. राजेश कुमार

 योग एवं नेचुरोपैथी फिजीशियन

 

 

 

 

 

 


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