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Q&A
10:29 AM | 23-09-2019

Due to diabetes i have acute burning sensation in left side of abdomen. How to get it rid of it?

The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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3 Answers

06:14 PM | 23-09-2019

सुप्रभात,

शुगर कोई बीमारी नहीं है। ख़राब हाज़मा और ग़लत आदतों के वजह से शरीर इस रूप में प्रतिक्रिया कर रहा है। शरीर को नहीं अपनी आदतों को जाँचे। जब तक प्राण सकती है तब तक शरीर के अंदर का कोई भी अंग जो की निष्क्रिय हो गया वो सक्रिय हो सकता है। सही खुराक जो की शरीर की ज़रूरत है।

शरीर पाँच तत्व से बना हुआ है प्रकृति की ही तरह।

आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।

पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

आपका मुख्य आहार ये हुआ तो बहुत अच्छा हो जाएगा।

1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें। इसके बाद फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें, रुकें, फिर स्वाँस अंदर भरें। ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक समय पर करना है। ये दिन में चार बार करें। खुली हवा में बैठें या टहलें।

3 अग्नि तत्व- सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।

4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। 

5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। बेल पत्ता 8 से 10 पीस कर 100 ml पानी में मिला कर लें। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। जो की आपको ज़बर्दस्त फ़ायदा करेगा। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें।

दोपहर में 12 बजे फिर से कच्चे सब्ज़ी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2 घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डाले। ताज़ा नारियल मिलाएँ। रात का खाना 8 बजे खाएँ। 

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ, बहुत फ़ायदा होगा। पृथ्वी तत्व को शरीर में डालने का एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं। ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन छोड़ने से ज़्यादा लाभ होगा।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। एनिमा किट मँगा लें । यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 100ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में एक बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में उपस्थित विषाणु निष्कासित हो जाये।

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)



09:49 AM | 25-09-2019

Hi you have diabetes and burning sensation on the left side. Its may be a condition called Gastoparesis which due to diabetes.Improper stomach contraction leads to indigestion. Both diabetes Type 1 and 2 causes some nerve damage leads to this condition. 
 

  • Controlling you blood sugar is the primary remedy.
  • Take proper diet and do physical exercise regularly. 
  • Consume small regular meals instead of large meals. 
  • Take fibre rich fruits and vegetables.
  • Consume more green vegetable and leafy vegetables.
  • Avoid raw diet. Because already your digestion is improper.  Take well cooked food. 
  • Do regular Yoga Asanas  and meditation. asanas Especially Ardha matsyendrasana,  naukasana, pawanamuktasana and other twisting asanas. 
  • Practice regular pranayama and breathing, relaxation techniques to reduce your stress level. 
  • Light abdominal massage may help to improve digestion. 
  • Cold compress or cold mud pack to abdomen.
  • Cold or neutral hip bath is advised.
  • Drink enough water.
  • Avoid fast food, fatty fried items and preservatives.
  • Avoid tea, coffee and alcohol.
  • Avoid dairy products. 
  • Consume herbal tea like ginger tea, cinnamon tea etc. 

Namasthe!

 



09:49 AM | 25-09-2019

नमस्ते,

अनियमित दिनचर्या ,खानपान की गड़बड़ी ,क्रोध ,ईर्ष्या , तनाव की वजह से भोजन का पाचन अवशोषण  व मल का सही तरीके से निष्कासन नहीं हो पाता ,पाचन अंगों पर काफी दबाव पड़ता है जिससे पाचन संस्थान के कई रोग हो जाते हैं।

 

  • नींद -रात्रि में 7 से 8 घंटेे का नींद अवश्य लें इससे भोजन का सही से पाचन होता है ,शरीर में स्थित अशुद्धियां बाहर निकलती है, कोशिकाओं की मरम्मत होती है!
  •  प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी व नींबू का सेवन करें इससे आंतों में स्थित अशुद्धियां बाहर निकल जाती है।
  • भोजन में मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें इससे भोजन का आसानी से पाचन होता है।
  • पेट की लपेट -एक 12 इंच चौड़ा और 3 मीटर लंबा सूती कपड़ा ले लीजिए उसे सामान्य तापमान के जल में डूबा कर निचोड़ लें व  पेट के चारों तरफ लपेट दे उसके ऊपर समान चौड़ाई लंबाई का कपड़ा लपेटकर बांध दीजिए  (अवधि 30 मिनट)
  • दो रबर के थैली लीजिए ,एक में गर्म पानी व दूसरे में ठंडा पानी भर लीजिए, गर्म पानी के थैले को पेट  के ऊपर व ठंडे पानी के थैले को पीछे पेट पर रखें ,12 इंच चौड़े और 3 मीटर लंबे सूती कपड़े से लपेट दे उसके ऊपर समान चौड़ाई लंबाई का ऊनी कपड़ा लपेटकर बांधे ( अवधि 30 मिनट) पाचन संस्थान के अंगों की क्रियाशीलता बढ़ाता है।

नोट- नेचुरोपैथी उपचार अनुभवी योग व नेचुरोपैथी फिजीशियन के निर्देशन में ही लें !

 

डॉ. राजेश कुमार 

योग एवं नेचुरोपैथी पीजीसीएल


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