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Q&A
07:57 PM | 30-11-2019

My husband is suffering from fatty liver grade 2 and his sgpt is 120.. He is also a sugar patient.. His liver fibroscan report is 11. 8... I am very much worried.. Plz let me know if this condition of liver is totally curable or not?? Plz help me


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1 Answer

11:57 AM | 02-12-2019

नमस्ते,

अनियमित दिनचर्या और असंतुलित आहार के कारण कई गंभीर बीमारियां आपको अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है फैटी लिवर की समस्या।एक्ट्रा कैलोरी- खाने में एक्ट्रा कैलोरी वाले आहार का अधिक उपयोग लिवर में वसा का निर्माण करता है। लिवर में वसा की यही अधिकता फैटी लिवर की समस्या को जन्म देती है।

लिवर की कार्यक्षमता कम होना- फैटी लिवर होने के प्रमुख कारणों में यह वजह काफी अहम है। जब किसी कारण से लिवर की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है, तो वह वसा को तोड़ने की प्रक्रिया को अंजाम नहीं दे पाता। फलस्वरूप लिवर में अतरिक्त वसा का जमाव होने लगता है। इस कारण फैटी लिवर की समस्या पैदा हो जाती है।

विशेष बीमारियां- मोटापा, डायबिटीज और हाई-ट्राइग्लिसराइड्स (खून में पाया जाने वाला एक प्रकार का फैट) जैसी समस्याएं लिवर संबधी जोखिमों को बढ़ाने का कारण बनती हैं। नजीतन इन स्थितियों में फैटी लिवर होने की संभावना अत्यधिक प्रबल हो जाती है।

शराब का सेवन- शराब का अधिक सेवन करने से भी फैटी लिवर की समस्या हो जाती है। समय रहते इस पर कंट्रोल न किया जाए, तो लिवर की पूरी तरह से खराब होने की आशंका प्रबल हो जाती हैं।

तेजी से वजन घटाना- कई लोग तेजी से वजन घटाने के चक्कर में फैटी लिवर की समस्या को न्योता दे जाते हैं। कारण यह है कि लिवर पाचन प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाता है। जरूरी आहार न मिल पाने की स्थिति में लिवर की प्रक्रिया प्रभावित होती है। फलस्वरूप लिया जाने वाला आहार सीधे वसा के रूप में लिवर में जमा होने लगता है।

आपका एसजीपीटी एवं लिवर फाइब्रो स्कैन दोनों बढ़े हुए अवस्था में है, फैटी लीवर की तरफ संकेत करता है।

आप निम्नलिखित चीजों का पालन करना चाहिए-

  • पहले पानी को गर्म करें,उसमें एक चम्मच हल्दी डालें,उसे अच्छे से मिला लें,फिर हल्दी के इस पानी को पी लें,इस प्रक्रिया को प्रतिदिन दोहराएं,हल्दी में एंटी इन्फ्लामेट्री, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। हल्दी में पाए जाने वाले यही गुण लिवर संबंधित बीमारियों की रोकथाम करने में मदद करते हैं। साथ ही यह गुण ऑक्सीडेटिव तनाव, लिपिड को संतुलित करने और इंसुलिन की प्रक्रिया में सुधार करने में भी लाभदायक साबित होते है। इसलिए हल्दी को लिवर संबंधी सभी विकारों को दूर करने में सहायक माना जा सकता है।
  •  नींद -रात्रि में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें, इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलता है कोशिकाओं की मरम्मत होती है।
  • यदि आपके पास सूर्योदय के समय पर्याप्त समय नहीं है तो आप सूर्यास्त से 1 घंटे पहले 45 मिनट धूप मेंं रहे इससे शरीर में विटामिन डी की आपूर्ति होती है शरीर की समस्त अंतः स्रावी ग्रंथियां सुचारू रूप से अपना कार्य करती हैं।
  •  प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी ,नींबू एवं शहद का सेवन करें इससे शरीर में अम्ल एवं क्षार का संतुलन बना रहता है, आंंत की दीवारें फैलती हैं, शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं जिससे क्रमांक कुंचन गति सुचारू रूप से होती है, नींबू में सिट्रिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट है। फैटी लिवर के दौरान होने वाली ऑक्सीडेशन प्रक्रिया को रोकने का काम करता है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि फैटी लीवर का इलाज करने के लिए नींबू रोज सेवन करने चाहिए ।
  • दो आंवलें,एक गिलास पानी,एक चम्मच शहद लें,आंवले के बीज निकाल कर उसके टुकड़े कर लें,आंवले के टुकड़े और पानी को ग्राइंडर में डाल कर अच्छे से ग्राइंड कर लें,फिर इसे छानकर अलग कर लें,इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं,इस प्रक्रिया को दिन में 1 से 2 बार दोहराया जा सकता है,आप सीधे कच्चा आंवला या आंवले का मुरब्बा भी खा सकते हैं,आंवले में कुछ ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो लिवर के लिए सहायक प्रोटीन को बढ़ाने का काम करते हैं। यह सहायक प्रोटीन लिपिड संबंधी उपापचय (मेटाबोलिज्म) क्रिया को तेज कर लिवर संबंधी जोखिमों को कम करने में मदद प्रदान करते हैं। इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि आंवले का उपयोग फैटी लिवर की समस्या से निजात पाने का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
  •  प्रतिदिन करेला,नारियल पानी या आंवले के जूस का सेवन करें इससे शरीर में अम्ल एवं क्षार का संतुलन बना रहता है ,शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं।
  •   प्रतिदिन भोजन में 50% ताजे मौसमी फल 35% हरी पत्तेदार सब्जियां 10% साबुत अंकुरित अनाज, 5% सूखे मेवे का सेवन खूब चबा चबाकर करें, यह हल्के एवं सुपाच्य होते  हैं, संतुलित मात्रा में शरीर को पोषण प्राप्त होता है, अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं.।
  • प्यास लगने पर मिट्टी के घड़े में रखे हुए जल को बैठकर धीरे-धीरे सेवन करें इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में जल की आपूर्ति होती है ,शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं।
  •  सप्ताह में कम से कम 1 दिन उपवास रहें इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं, पाचन अंगों को आराम मिलता है, फैटी लीवर को कम करने में सहायक है ।
  • प्रतिदिन सुगंधित पुष्पों से युक्त बगीचे में प्रसन्न होकर नंगे पाव टहलें, मन शांत एवं तनाव मुक्त  रहता है। 

निषेध -जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ, चाय ,काफी ,चीनी ,मिठाईयां ,नमक ,नमकीन, ठंडे पेय पदार्थ ,डिब्बाबंद भोज्य पदार्थ , शराब ,रात्रि जागरण ,,क्रोध, ईर्ष्या , चिंता ,तनाव, सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल, टेलीविजन ,कंप्यूटर का प्रयोग।


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