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Q&A
09:38 AM | 03-02-2020

Last 2months I hv been sick badly , 1st food infection ignored it due to work got escalated to 100fever and severe body ache. After 7-8 my body temp started increasing to 102 severe chills night sweats profusely & temp. Normal till the time medicine effect is there.. Tests nothing no dengue malaria or rather typhoid. This continued till 15 days. Stopped taking medicines n started with dabur joshina temp is normal now but have bad lower back pain and I get tired.. What to do pls suggest?


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1 Answer

07:04 PM | 03-02-2020

हेलो,

कारण - जैसा कि आपने लिखा है कि पहले फूड पॉइजनिंग हुआ उसके बाद आपने उसको इग्नोर किया फिर बुखार आया अब आपको थकान और कमर के हिस्से में दर्द है। 

दर्द अम्ल की अधिकता के कारण हो रहा है। आंतों में मौजूद विषाक्त  कणों को साफ करने के  लिए आहार शैली प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाएं।

समाधान-  हाजमा के खराब होने पर पेट पर  एक तौलिया भिगोकर, निचोड़ कर उसको पेट पर लपेटे।  20 मिनट तक उसको रखना है उसके बाद उसको हटा दें।

 तेज बुखार आने पर दवा ना ले। बल्कि  आप पैरों की सिकाई करें सादे पानी से सर की सिकाई करें सादे पानी से और नाभि पर भी एक गीला कपड़ा रखें।

कमर के दर्द को ठीक करने के लिए कुछ आसन बहुत ही प्रभावी है जैसे मकरासन, सेतुबंधासन धनुरासन मर्जरी आसन करें।

दर्द के स्थिति में अपना (posture) आसन एकदम ठीक प्रकार से रखें मतलब सीधा खड़ा या सीधा बैठे या सीधा लेटे या तो मकरासन में लेटे या फिर दाया भाग ऊपर करके लेटे रीढ़ की हड्डी को हमेशा सीधा रखें।

दर्द वाले स्थान पर गीले कपड़े की पट्टी या मड पैक करें।

20 मिनट बाद उसे साफ कर ले।

दर्द वाले स्थान पर सूर्य की रोशनी से सिकाई करें।

दर्द वाले स्थान पर तिल के तेल से या सरसों तेल की मालिश घड़ी की सीधी दिशा में और घड़ी की उलटी दिशा में बिना प्रेशर दिए करें।

जीवन शैली - 1आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।

फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।

2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।

3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।

4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए। 

स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है।

दर्द के स्थान पर तिल के तेल से घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।

5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक  पत्ते धो कर पीस कर 100ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।

फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल सूखे फल नाश्ते में लें।

दोपहर के खाने में सलाद नट्स और अंकुरित अनाज के साथ  सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। 

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।

6.सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

7.एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।

8.उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)


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